कैसे मनाएं इस बार राखी का त्यौहार
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रक्षाबंधन, भाई-बहन के रिश्ते को प्रगाढ़ करने और सुरक्षा का वचन लेने का त्योहार है। इस साल, रक्षाबंधन 19 अगस्त को मनाया जाएगा। इस खास दिन को लेकर हिंदू पुराणों में कई निर्देश दिए गए हैं कि भाई-बहन को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, ताकि इस रिश्ते की पवित्रता और महत्व बनाए रखा जा सके।

भाई-बहन को क्या करना चाहिए:
- आदर और सम्मान: पुराणों के अनुसार, भाई को अपनी बहन का सम्मान करना चाहिए और उसकी सुरक्षा का वचन लेना चाहिए। इसी तरह, बहन को भी अपने भाई को स्नेह और सम्मान देना चाहिए।
- राखी बांधने की परंपरा: बहन को अपने भाई की कलाई पर राखी बांधनी चाहिए और उसके सुख-समृद्धि की कामना करनी चाहिए। भाई को भी राखी को श्रद्धा पूर्वक स्वीकार करना चाहिए और बहन को उपहार देकर उसका सम्मान करना चाहिए।
- परिवार के साथ समय बिताना: भाई-बहन को इस दिन अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहिए और एक-दूसरे के साथ खुशी साझा करनी चाहिए। इससे परिवार में प्रेम और एकता बढ़ती है।
भाई-बहन को क्या नहीं करना चाहिए:

- झगड़े और विवाद: पुराणों के अनुसार, रक्षाबंधन के दिन भाई-बहन को किसी भी प्रकार के झगड़े या विवाद से बचना चाहिए। यह दिन प्रेम और समझदारी के प्रतीक के रूप में मनाया जाना चाहिए।
- स्वार्थी व्यवहार: भाई-बहन को स्वार्थी व्यवहार से बचना चाहिए और इस दिन को केवल उपहारों या भौतिक लाभ के रूप में नहीं देखना चाहिए। इसका मुख्य उद्देश्य एक-दूसरे के प्रति स्नेह और सुरक्षा का वचन है।
- औपचारिकता से बचें: रक्षाबंधन के दिन किसी भी प्रकार की गलतफहमी और नाराजगी को दूर करना चाहिए और एक सकारात्मक और प्रेमपूर्ण वातावरण बनाए रखना चाहिए।
रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जो भाई-बहन के रिश्ते को सम्मान और सुरक्षा का वचन देता है, लेकिन इसके पीछे की हकीकत अक्सर कड़वी होती है। इस दिन जब सभी अपने रिश्तों को बढ़ावा देने का दावा करते हैं, वहीं कई बार वास्तविकता में ये रिश्ते उतने सच्चे और मजबूती से जुड़े हुए नहीं होते जितना दिखाया जाता है।
रक्षाबंधन पर हम उम्मीद करते हैं कि भाई अपने बहन के प्रति पूरी तरह से जिम्मेदार हो, और बहन के लिए किसी भी कठिनाई में सहारा बने। लेकिन कितनी बार ऐसा होता है कि यह एकतरफा होता है? कई बार भाई-बहन के रिश्ते में स्वार्थ, असहमति, और समझ की कमी देखने को मिलती है।
इसके अलावा, राखी के दिन उपहार देने का चलन भी एक प्रकार की सामाजिक परंपरा बन गई है, जिसमें बहुत से लोग वास्तविक भावनाओं को छुपाकर दिखावा करते हैं। असली बात यह है कि इस दिन के भावनात्मक महत्व को नजरअंदाज कर दिया जाता है और इसे सिर्फ एक अवसर मान लिया जाता है।
इस त्योहार के पीछे की सच्चाई यह है कि भाई-बहन के रिश्ते को केवल एक दिन के त्योहार से नहीं निभाया जा सकता। यह रिश्ते की गहराई, समझ और एक-दूसरे की जरूरतों के प्रति संवेदनशीलता पर निर्भर करता है। इसलिए, रक्षाबंधन पर केवल औपचारिकता निभाने की बजाय, हमें अपने रिश्तों को सच्चे दिल से समझने और निभाने की आवश्यकता है।