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योगी का बुलडोजर रोकना मुश्किल

बुलडोजर एक्शन को लेकर यूपी सरकार के एफिडेविट की सराहना

योगी का बुलडोजर रोकना मुश्किल पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का इंतजार

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा चलाए जा रहे बुलडोजर अभियान ने न केवल राज्य में बल्कि पूरे देश में एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बना दिया है। अवैध निर्माणों, अपराधियों और माफियाओं के खिलाफ चलाए जा रहे इस अभियान ने जनता के बीच ‘बुलडोजर बाबा’ की छवि को और भी मजबूत किया है। लेकिन अब इस अभियान को लेकर कानूनी सवाल उठने लगे हैं, और सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन पर टिकी हुई हैं।

बुलडोजर कार्रवाई: एक विवादित मुद्दा

योगी सरकार के इस अभियान की सराहना जितनी हो रही है, उतनी ही इसकी आलोचना भी हो रही है। कई मामलों में यह आरोप लगाया जा रहा है कि बुलडोजर का इस्तेमाल राजनीतिक दुश्मनों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है। खासकर मुस्लिम समुदाय के कुछ इलाकों में हुई कार्रवाई को लेकर सरकार पर पक्षपात का आरोप भी लगाया जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट का रुख

हाल ही में कुछ घटनाओं के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर संज्ञान लिया है और राज्य सरकारों से बुलडोजर कार्रवाई को लेकर गाइडलाइन्स बनाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि किसी भी कार्रवाई से पहले उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। किसी भी व्यक्ति की संपत्ति को बिना नोटिस या उचित प्रक्रिया के ध्वस्त नहीं किया जा सकता।

कानूनी प्रक्रिया का सवाल

कई कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार उचित प्रक्रिया का पालन करती है, तो बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठाना मुश्किल है। लेकिन अगर कानून का उल्लंघन होता है, तो यह कार्रवाई संविधान के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन मानी जा सकती है। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का इंतजार हो रहा है, ताकि इस तरह की कार्रवाइयों के लिए एक स्पष्ट और निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके।

योगी सरकार का रुख

योगी आदित्यनाथ सरकार का मानना है कि बुलडोजर अभियान कानून व्यवस्था बनाए रखने और अपराधियों के खिलाफ सख्त संदेश देने के लिए आवश्यक है। सरकार का दावा है कि यह अभियान केवल अवैध निर्माणों और माफियाओं के खिलाफ चलाया जा रहा है, और इसमें किसी भी तरह का राजनीतिक या सांप्रदायिक पक्षपात नहीं किया जा रहा है।

क्या बुलडोजर रुक सकता है?

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन आने तक बुलडोजर कार्रवाई जारी रहने की संभावना है। हालांकि, कोर्ट के निर्देशों के बाद सरकार को अपनी रणनीति में कुछ बदलाव करने पड़ सकते हैं। अगर गाइडलाइन्स में कड़े नियम बनाए जाते हैं, तो सरकार को उन्हें पालन करना अनिवार्य होगा। लेकिन योगी सरकार के बुलडोजर अभियान की गति को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के बावजूद यह अभियान पूरी तरह से रुक जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का इंतजार इस मुद्दे पर स्थिति को और भी स्पष्ट करेगा। लेकिन एक बात तो तय है कि योगी सरकार का बुलडोजर अभियान अपनी गति में फिलहाल कोई कमी नहीं लाएगा। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के इस तरीके ने जहां जनता के एक बड़े हिस्से का समर्थन हासिल किया है, वहीं इसके आलोचक भी कम नहीं हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

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