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ड्रिप सिंचाई प्रणाली: भारत में कृषि की नई क्रांति

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नयी दिल्ली: भारत में कृषि क्षेत्र के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली (Drip Irrigation System) एक नई उम्मीद और सुधार की किरण साबित हो रही है। इस प्रणाली के माध्यम से किसानों को जल प्रबंधन, फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता में महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिल रहे हैं। ड्रिप सिंचाई ने न केवल जल की बर्बादी को कम किया है, बल्कि किसानों को उच्च उपज और लागत में कमी का लाभ भी पहुंचाया है।

ड्रिप सिंचाई प्रणाली की विशेषताएँ और लाभ:

  1. जल का कुशल उपयोग: ड्रिप सिंचाई प्रणाली में पानी को सीधे पौधों की जड़ों के पास छोटे-छोटे टपकाव (drippers) के माध्यम से पहुंचाया जाता है। यह प्रणाली जल के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करती है और जल की बर्बादी को काफी हद तक कम करती है।
  2. सटीक पोषण: ड्रिप सिंचाई के साथ फर्टिगेशन (fertigation) की तकनीक का उपयोग करके पौधों को आवश्यक पोषक तत्व सीधे उनके जड़ों तक पहुंचाए जा सकते हैं, जिससे फसलों की वृद्धि और गुणवत्ता में सुधार होता है।
  3. कम ऊर्जा और श्रम लागत: इस प्रणाली में जल को प्रवाहित करने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है और यह श्रम लागत को भी कम करती है, क्योंकि खेत में जल की वितरण प्रणाली स्वचालित होती है।
  4. फसल की गुणवत्ता में सुधार: ड्रिप सिंचाई के माध्यम से फसलों को नियमित और नियंत्रित मात्रा में पानी मिलती है, जिससे फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है और उत्पादन में बढ़ोतरी होती है।
  5. कम कीट और बीमारियाँ: भूमि की सतह पर पानी न पहुंचने के कारण, खरपतवारों की वृद्धि और भूमि पर बीमारियों के फैलने की संभावना कम होती है।

ड्रिप सिंचाई प्रणाली कैसे स्थापित करें:

  1. भूमि की तैयारी और योजना: सबसे पहले, खेत की भूमि की तैयारी करें और ड्रिप सिंचाई प्रणाली की योजना बनाएं। सही डिजाइन के लिए खेत की बनावट, फसल की किस्म और जल की उपलब्धता का ध्यान रखें।
  2. सिस्टम की संरचना: ड्रिप सिंचाई प्रणाली में मुख्यतः पाइपिंग, ड्रिप ट्यूब्स, और ड्रिपर शामिल होते हैं। उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग करें ताकि प्रणाली की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित हो सके।
  3. पानी की स्रोत की पहचान: सुनिश्चित करें कि पानी की पर्याप्त और स्थिर आपूर्ति हो। ड्रिप सिंचाई के लिए ट्यूबवेल, कुएँ, या जलाशय का उपयोग किया जा सकता है।
  4. सिस्टम की स्थापना और परीक्षण: ड्रिप सिस्टम को स्थापित करें और इसके संचालन का परीक्षण करें। सुनिश्चित करें कि सभी ड्रिपर समान रूप से पानी वितरित कर रहे हैं और कोई लीक या अन्य समस्या नहीं है।
  5. सामान्य देखभाल: ड्रिप सिंचाई प्रणाली की नियमित देखभाल करें, जिसमें पाइपलाइन की सफाई, ड्रिपर की जाँच और सिस्टम के अन्य भागों का निरीक्षण शामिल है।
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सरकारी योजनाएँ और समर्थन:

भारत सरकार ने ड्रिप सिंचाई प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ और सब्सिडी प्रदान की हैं। प्रमुख योजनाएँ निम्नलिखित हैं:

  1. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY): इस योजना के तहत, किसानों को ड्रिप सिंचाई प्रणाली स्थापित करने के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है। योजना का उद्देश्य जल उपयोग में सुधार और कृषि उत्पादकता बढ़ाना है।
  2. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY): इस योजना के तहत भी ड्रिप सिंचाई परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, ताकि छोटे और मध्यम किसानों को इसका लाभ मिल सके।
  3. कृषि विज्ञान केंद्र (KVK): विभिन्न राज्यों में कृषि विज्ञान केंद्र ड्रिप सिंचाई की तकनीकी जानकारी और प्रशिक्षण प्रदान करते हैं, जिससे किसानों को इस प्रणाली को समझने और अपनाने में सहायता मिलती है।

उदाहरण:

हरियाणा के गाँवों में ड्रिप सिंचाई प्रणाली की सफलता की कहानियाँ सुनने को मिलती हैं। किसानों ने इस प्रणाली के माध्यम से अपनी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में उल्लेखनीय सुधार देखा है।

अंतिम विचार:

ड्रिप सिंचाई प्रणाली भारतीय कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीकी उन्नति है। यह जल की कुशलता, फसल की गुणवत्ता और किसान की आय में सुधार के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है। उचित योजना, स्थापना और देखभाल के साथ, ड्रिप सिंचाई प्रणाली भारत के कृषि क्षेत्र में एक क्रांति ला सकती है, जिससे किसानों को बेहतर उत्पादन और स्थिरता प्राप्त हो सके।

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