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मशरूम खेती: भारत में एक नई कृषि क्रांति की शुरुआत

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मशरूम खेती की बढ़ती लोकप्रियता

मशरूम, जिसे भारतीय संदर्भ में ‘खुम्बी’ भी कहा जाता है, प्रोटीन, विटामिन्स, और मिनरल्स का समृद्ध स्रोत है। इसकी खेती की सादगी और अपेक्षाकृत कम लागत ने इसे भारतीय किसानों के बीच एक आकर्षक विकल्प बना दिया है। देश के विभिन्न हिस्सों में बढ़ती मांग और लाभकारी उत्पादन के चलते, मशरूम खेती ने तेजी से लोकप्रियता हासिल की है।

मशरूम खेती के लाभ:

  1. उच्च मुनाफा: मशरूम की उच्च बाजार कीमत और तेज़ उत्पादन चक्र इसे एक लाभकारी फसल बनाते हैं। किसानों को कम समय में अच्छा लाभ प्राप्त होता है।
  2. कम जगह में उत्पादन: मशरूम की खेती को कम स्थान में भी किया जा सकता है, जिससे छोटे खेत और शहरी इलाकों में भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है।
  3. स्वास्थ्य लाभ: मशरूम में उच्च मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो इसे एक स्वस्थ आहार विकल्प बनाते हैं।
  4. कम जल और पोषक तत्वों की आवश्यकता: मशरूम की खेती में कम जल और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जो इसे पर्यावरण के अनुकूल बनाता है।

मशरूम खेती कैसे शुरू करें:

  1. स्थान और तैयारी: मशरूम की खेती के लिए एक अंधेरी और नियंत्रित तापमान वाले स्थान की आवश्यकता होती है। सामान्यत: इसे गहरे स्थानों, गोडाउन, या शेड में उगाया जाता है। तापमान को 20-25°C और आर्द्रता को 80-90% बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
  2. मशरूम किस्में: मशरूम की विभिन्न किस्में जैसे ऑयस्टर, शिटाके, और मिल्की हैं। प्रत्येक किस्म की विशेष जरूरतें और बाजार में अलग-अलग मांग होती है, इसलिए किस्म का चयन ध्यानपूर्वक करें।
  3. विकास सामग्री: मशरूम की खेती के लिए प्रमुख सामग्री में सब्सट्रेट (जैसे पुआल, लकड़ी की चिप्स), मशरूम की बीज, और खाद शामिल हैं। सब्सट्रेट को पहले उचित ढंग से स्टरलाइज़ करना होता है।
  4. बुवाई और देखभाल: मशरूम के बीज को तैयार सब्सट्रेट में मिलाकर बुवाई करें। उचित देखभाल, जैसे कि नियमित नमी की आपूर्ति और वायु परिसंचरण, विकास के लिए आवश्यक हैं।
  5. कटाई: मशरूम की कटाई तब करें जब वह पूरी तरह से विकसित हो जाए, ताकि उसका स्वाद और पोषण स्तर सर्वोत्तम हो।

प्रशिक्षण और सहायता:

भारतीय किसानों को मशरूम खेती में सहायता और प्रशिक्षण प्राप्त करने के कई स्रोत उपलब्ध हैं:

  1. कृषि विज्ञान केंद्र (KVK): विभिन्न राज्यों में कृषि विज्ञान केंद्र मशरूम खेती पर प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं।
  2. राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD): NABARD मशरूम खेती के लिए वित्तीय सहायता और योजनाओं का समर्थन करता है।
  3. कृषि विश्वविद्यालय और अनुसंधान संस्थान: कई कृषि विश्वविद्यालय और अनुसंधान संस्थान मशरूम की खेती पर शोध और प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करते हैं, जैसे पं. दीन दयाल उपाध्याय कृषि विश्वविद्यालय, और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI)।
  4. उद्योग संघ और किसान समूह: स्थानीय किसान संघ और उद्योग संघ भी प्रशिक्षण कार्यक्रम और संसाधन उपलब्ध कराते हैं।
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अंतिम विचार:

मशरूम खेती भारत में किसानों के लिए एक नई उम्मीद और अवसर का संकेत देती है। इसकी अपेक्षाकृत कम लागत, उच्च लाभ, और स्वास्थ्य लाभ इसे एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं। उचित प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता, और बाजार की समझ के साथ, मशरूम खेती भारतीय कृषि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है और किसानों के आर्थिक स्थिरता में योगदान कर सकती है।

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