सावन माह की महत्ता: क्या करें और क्या न करें
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सावन का महीना हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। इसे श्रावण मास भी कहा जाता है और यह मास भगवान शिव की आराधना के लिए पूरी तरह से समर्पित है। सावन का महीना श्रावण नक्षत्र से संबंधित होता है, और इस दौरान भक्त भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस महीने में भगवान शिव पृथ्वी पर अधिक सक्रिय रहते हैं और भक्तों की प्रार्थनाओं को सुनते हैं।
सावन माह की आध्यात्मिकता
सावन का महीना देवों के देव महादेव की भक्ति का महीना है। इस दौरान शिव भक्त पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं। इस माह में सोमवार का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है जिसे ‘सावन सोमवार’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
सावन में भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है, जिसमें जल, दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल से शिवलिंग का स्नान कराया जाता है। इसे ‘रुद्राभिषेक’ कहा जाता है और इसे करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह माह न केवल पूजा-अर्चना का समय है, बल्कि आत्मशुद्धि और अनुशासन का भी समय है।
सावन में क्या करें
- शिवलिंग का अभिषेक: प्रतिदिन सुबह स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें और शिवलिंग का अभिषेक करें। अभिषेक के लिए जल, दूध, बेलपत्र, भांग, और धतूरा का उपयोग करें। यह भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय होता है।
- व्रत का पालन करें: सावन सोमवार के व्रत का पालन करें। यह व्रत विशेष रूप से कुंवारी कन्याओं के लिए फलदायी माना जाता है, क्योंकि इससे उन्हें इच्छित वर की प्राप्ति होती है। व्रत के दिन निराहार रहें और केवल फलाहार करें।
- भगवान शिव के मंत्रों का जाप: इस महीने में ‘ओम नमः शिवाय’ और ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जाप अत्यधिक लाभकारी होता है। मंत्रों का जाप मन की शांति और आत्मिक उन्नति के लिए किया जाता है।
- साधना और ध्यान करें: सावन माह आत्मिक साधना के लिए उत्तम समय होता है। प्रतिदिन ध्यान करें और भगवान शिव का ध्यान करते हुए आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करें।
- दान-पुण्य करें: इस माह में दान का विशेष महत्व है। अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें और जरूरतमंदों की सहायता करें। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
- सात्विक आहार का सेवन: इस महीने में सात्विक आहार का सेवन करें। तामसिक और राजसिक भोजन से परहेज करें। शुद्ध और सादा भोजन करना इस माह में महत्वपूर्ण माना जाता है।
सावन में क्या न करें
- मांसाहार और नशे से बचें: सावन माह के दौरान मांसाहार और नशे का सेवन करना वर्जित माना जाता है। यह समय आत्मशुद्धि और साधना का होता है, इसलिए तामसिक भोजन और नशीले पदार्थों से बचें।
- झूठ बोलने और धोखा देने से बचें: इस पवित्र महीने में किसी को धोखा देना, झूठ बोलना, और अन्य अनुचित कार्य करना आध्यात्मिकता के विपरीत है। यह समय सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने का होता है।
- संपूर्ण सुख-सुविधाओं का त्याग: अत्यधिक सुख-सुविधाओं से बचें और सादगीपूर्ण जीवन जीने की कोशिश करें। यह आत्मिक उन्नति के लिए सहायक होता है।
- रात में भोजन से परहेज: रात में भोजन करने से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसलिए सावन माह में रात के भोजन से परहेज करना चाहिए। इस महीने में दिन में ही भोजन करें और हल्का आहार लें।
- विवाद और कलह से बचें: सावन के पवित्र महीने में किसी भी तरह के विवाद और कलह से दूर रहें। शांति, प्रेम, और सहनशीलता का पालन करें और सभी के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करें।
सावन माह का धार्मिक महत्व
सावन माह के दौरान भक्तों के लिए कांवड़ यात्रा का भी विशेष महत्व होता है। कांवड़ यात्रा में शिव भक्त गंगा जल लाते हैं और इसे शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। यह यात्रा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए की जाती है और इसे करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और आत्मिक शुद्धि के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। इस समय में श्रद्धालु अपने जीवन को धार्मिक और आध्यात्मिकता के मार्ग पर ले जाते हैं और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करते हैं। यह माह हमें सिखाता है कि सादगी, संयम, और सत्य के मार्ग पर चलकर ही हम आध्यात्मिक उन्नति और ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
सावन माह में अपने जीवन को आध्यात्मिकता और धार्मिकता से भरें, और भगवान शिव की कृपा से अपने जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि प्राप्त करें।