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ड्रैगन फ्रूट खेती: भारतीय किसानों के लिए एक लाभकारी अवसर

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नयी दिल्ली, 10 अगस्त 2024: भारत में कृषि के क्षेत्र में नई-नई फसलों की शुरुआत किसानों के लिए समृद्धि और विविधता का मौका लेकर आई है। इनमें से एक प्रमुख फसल है ड्रैगन फ्रूट, जिसे भारत में “कमल फल” या “ड्रैगन फल” के नाम से भी जाना जाता है। हाल के वर्षों में, ड्रैगन फ्रूट की खेती ने किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प प्रस्तुत किया है। इस लेख में, हम जानेंगे कि ड्रैगन फ्रूट खेती कैसे भारतीय किसानों के लिए फायदे का सौदा बन सकती है, इसे शुरू करने के लिए क्या आवश्यक है, और इसके लिए उपलब्ध प्रशिक्षण केंद्रों की जानकारी।

ड्रैगन फ्रूट की खेती: एक संजीवनी

ड्रैगन फ्रूट, जिसे पैटर्निया या हायसिंथस परिवार के कैक्टस पौधे से प्राप्त किया जाता है, एक रंगीन और पौष्टिक फल है। इसकी खेती में कम पानी की आवश्यकता होती है और यह कई प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, जो इसे भारतीय किसानों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाता है।

ड्रैगन फ्रूट खेती के लाभ:

  1. उच्च लाभ: ड्रैगन फ्रूट की बाजार में बढ़ती मांग और उसकी उच्च कीमतें इसे एक लाभकारी फसल बनाती हैं। यह फल एक बार की बिक्री से अच्छे मुनाफे की उम्मीद कर सकता है।
  2. कम पानी की आवश्यकता: ड्रैगन फ्रूट को अधिक पानी की जरूरत नहीं होती, जिससे इसे पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है।
  3. कम कीट और रोग: ड्रैगन फ्रूट पौधे कम कीट और रोगों से प्रभावित होते हैं, जिससे रासायनिक कीटनाशकों की जरूरत कम होती है।
  4. लंबी फसल अवधि: ड्रैगन फ्रूट की खेती से साल भर फल मिलते हैं, जिससे किसान निरंतर आय प्राप्त कर सकते हैं।

ड्रैगन फ्रूट खेती शुरू करने के कदम:

  1. स्थान और मिट्टी का चयन: ड्रैगन फ्रूट को अच्छी जल निकासी वाली बलुई मिट्टी में उगाया जाता है। इसे धूप और गर्मी पसंद है, इसलिए एक धूप वाली जगह का चयन करना महत्वपूर्ण है।
  2. पौधों की खरीददारी: बाजार में विभिन्न किस्मों के ड्रैगन फ्रूट पौधे उपलब्ध हैं। विश्वसनीय नर्सरी से पौधे खरीदें और सुनिश्चित करें कि वे स्वस्थ और रोगमुक्त हों।
  3. बुआई और रोपण: पौधों को गड्ढों में रोपित करें और उनकी जड़ों को अच्छे से व्यवस्थित करें। पौधों को मिट्टी में अच्छे से फिट करें और पर्याप्त जल दें।
  4. देखभाल: ड्रैगन फ्रूट पौधों को नियमित रूप से पानी दें, लेकिन अत्यधिक पानी से बचें। पौधों को सही प्रकार की खाद दें और पौधों की वृद्धि के लिए ट्रेलिस या सहारा प्रदान करें।
  5. फसल की देखरेख: फल के पकने की प्रक्रिया की निगरानी करें और समय पर फसल काटें।
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प्रशिक्षण और समर्थन:

ड्रैगन फ्रूट खेती के लिए विभिन्न प्रशिक्षण केंद्र और कृषि संस्थान किसानों को आवश्यक जानकारी और तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं। निम्नलिखित कुछ प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र हैं:

  1. कृषि विज्ञान केंद्र (KVK): भारत के विभिन्न राज्यों में कृषि विज्ञान केंद्र ड्रैगन फ्रूट की खेती पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते हैं और किसानों को तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं।
  2. राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD): NABARD ड्रैगन फ्रूट खेती के लिए वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करता है।
  3. कृषि विश्वविद्यालय और कॉलेज: कई कृषि विश्वविद्यालय और कॉलेज ड्रैगन फ्रूट की खेती पर शोध और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाते हैं। उदाहरण के लिए, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
  4. फार्मर-फील्ड स्कूल: किसानों के लिए क्षेत्रीय फार्मर-फील्ड स्कूल भी ड्रैगन फ्रूट की खेती पर प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।

अंतिम विचार:

ड्रैगन फ्रूट की खेती भारतीय किसानों के लिए एक नई आशा और अवसर लेकर आई है। इसकी लाभकारी विशेषताएँ, कम देखभाल की आवश्यकता, और उच्च बाजार मूल्य इसे एक आकर्षक कृषि विकल्प बनाते हैं। उचित प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता के साथ, ड्रैगन फ्रूट की खेती किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती है और उनके आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकती है।

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