तिरुपति मंदिर प्रसाद में मछली के तेल का मामला: जांच रिपोर्ट में आया खुलासा

तिरुपति, 19 सितंबर 2024: तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मछली के तेल की उपस्थिति को लेकर हाल ही में एक विवाद सामने आया है। मंदिर प्रशासन द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ प्रसाद में मछली के तेल के अंश पाए गए हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए चिंता का विषय बन गया है।
मामला क्या है?
तिरुपति मंदिर, जो भगवान वेंकटेश्वर का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है, अपने प्रसाद के लिए प्रसिद्ध है। श्रद्धालु यहां से प्रसाद लेकर जाते हैं, जो भक्तों के लिए एक पवित्र वस्तु मानी जाती है। हाल ही में कुछ श्रद्धालुओं ने प्रसाद के स्वाद में असामान्य बदलाव की शिकायत की थी, जिसके बाद इसकी जांच करवाई गई।
विश्व प्रसिद्ध तिरुपति के लड्डू में पशुओं की चर्बी के आरोपों के बाद तेलुगू देसम पार्टी (टीडीपी) ने गुरुवार को इसकी लैब रिपोर्ट पेश की है। पार्टी ने कहा कि गुजरात स्थित एनडीडीबी सीएएलएफ लिमिटेड की जांच के बाद लड्डू के घी के नमूनों में मिलावट की पुष्टि हुई है।
लैब रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
टीडीपी के प्रवक्ता अनम वेंकटा रमन रेड्डी ने एक संवाददाता सम्मेलन में इस कथित लैब रिपोर्ट का खुलासा करते हुए कहा कि रिपोर्ट में पाया गया है कि घी के नमूनों में बीफ टैलो (पशुओं की चर्बी) की मौजूदगी है। इसके अलावा, रिपोर्ट में ‘लार्ड’ (सूअर की चर्बी से संबंधित) और मछली के तेल की भी उपस्थिति की पुष्टि की गई है।
जांच में क्या पाया गया?
जांच के दौरान कुछ नमूनों में मछली के तेल के अंश पाए गए, जो इस प्रसाद की शुद्धता पर सवाल उठाते हैं। तिरुपति मंदिर प्रशासन ने इस पर गंभीरता से ध्यान दिया है और मामले की गहन जांच करने का निर्णय लिया है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
मंदिर प्रशासन ने इस मुद्दे को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। मंदिर के प्रमुख पुजारी ने कहा, “हम श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान करते हैं और इस मामले की गंभीरता से जांच करेंगे। यदि कोई गलती हुई है, तो हम जिम्मेदारी लेंगे।”
श्रद्धालुओं की चिंता
इस मामले ने श्रद्धालुओं के बीच चिंता पैदा कर दी है। कई भक्तों ने कहा है कि उन्हें प्रसाद के सेवन के प्रति सतर्क रहना पड़ेगा। कुछ श्रद्धालुओं ने इसे आस्था का मामला बताते हुए मांग की है कि प्रसाद की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए।
आगे की कार्रवाई
तिरुपति मंदिर प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लेंगे और जरूरत पड़ने पर प्रसाद की तैयारियों में सुधार करेंगे। मामले की विस्तृत जांच के बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
इस घटनाक्रम ने न केवल मंदिर की प्रतिष्ठा को प्रभावित किया है, बल्कि श्रद्धालुओं के बीच विश्वास को भी चुनौती दी है। मंदिर प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।