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वाराणसी में 40 साल से बंद पड़े मंदिर को खोलने की उठी मांग, इस सवाल का जवाब खोजने में जुटा प्रशासन

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उत्त्तर प्रदेश के संभल में 46 साल बाद एक मंदिर मिला है, जिसे फिर से पूजा के लिए खोल दिया गया है. अब वाराणसी में भी चार दशकों से बंद पड़े एक मंदिर को खुलवाने की मांग उठ गई है. जिसके बाद जिला प्रशासन ने मंदिर के मालिकाना हक के दस्तावेजों को तलाशना शुरू कर दिया है. इस मामले की जांच के लिए जिला प्रशासन और पुलिस की एक टीम मंगलवार को मंदिर पहुंची. अपर जिलाधिकारी (शहर) आलोक वर्मा ने कहा, “हमें इस मंदिर के बारे में न्यूजपेपर से पता चला. अगले तीन-चार दिनों में हम इसकी जांच करेंगे. हमारे कानूनी सलाहकारों की टीम मंदिर के मालिकाना हक की जांच कर रही है. अगर इसे पब्लिक प्रोपर्टी घोषित किया जाता है तो मंदिर सभी के लिए खोल दिया जाएगा.”40 सालों से बंद है मंदिरपुलिस उपायुक्त काशी जोन गौरव बंसवाल ने कहा कि इस मंदिर के बारे में सभी जानते हैं और यह कई सालों से बंद है. उन्होंने कहा,”स्थानीय लोगों के अनुसार, यह मंदिर करीब 40 वर्षों से बंद है. यह पता नहीं चल पाया है कि मंदिर के ताले की चाबी किसके पास है. अब कुछ संगठनों ने मंदिर का ताला खोलकर वहां पूजा शुरू करने की मांग की है. राजस्व और प्रशासन की टीमें वहां जांच कर रही हैं.” उन्होंने कहा, “पुराने रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं, जो भी कानूनी प्रक्रिया होगी, उसे लागू किया जाएगा.” उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को मंदिर खोले जाने पर कोई आपत्ति नहीं है.इलाके में पीएसी के जवान तैनात सुरक्षा की दृष्टि से वहां पीएसी के जवान तैनात किए गए हैं और लगातार गश्त की जा रही है. सोमवार को मदनपुरा इलाके में करीब चार दशक से बंद पड़े मंदिर को खोलने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए. इस समूह का नेतृत्व सनातन रक्षा दल के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा कर रहे थे. शर्मा ने कहा कि मंदिर को खोलने का प्रयास किसी विवाद या संघर्ष के कारण नहीं है. शर्मा ने कहा, “मंदिर, जो अब मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय के लोगों के निवास वाले क्षेत्र में स्थित है, वर्षों से उपेक्षित रहा है परिसर गंदगी और मलबे से भरा हुआ है.”मंदिर को लेकर कोई विरोध नहींइसके साथ ही अजय शर्मा ने दावा किया कि आसपास की जमीन, जो कभी हिंदुओं के स्वामित्व में थी, मुस्लिम परिवारों ने खरीद ली, जिसके कारण समय के साथ मंदिर खाली हो गया. उन्होंने कहा, “मंदिर को फिर से खोलने को लेकर कोई विरोध या विवाद नहीं है. पुलिस ने अपना सहयोग बढ़ाया है और महापौर से भी चर्चा हुई है. उन्होंने दावा किया कि स्थानीय अधिकारियों की देखरेख में मंदिर की सफाई जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है.

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