newswomen.in

Empowering Voices, Informing Minds

बजट से 10 दिन पहले क्यों कैद हो जाते हैं अधिकारी, क्या है इसके पीछे का 1950 वाला किस्सा?

1 min read

Union Budget History: भारत का बजट 1 फरवरी को संसद में होगा. इस पर देश ही नहीं दुनिया की नजरें हैं. हर कोई जानना चाहता है कि सरकार इस वित्त वर्ष में क्या करने वाली है. अगर सोचिए बजट लीक हो जाए तो क्या होगा? किसी एक कंपनी या शख्स को भी पता चल जाए कि सरकार क्या घोषणा करने वाली है तो वो न जाने कितने तरह के फायदे उठा सकता है. सरकार की बदनामी हो सकती है. शेयर बाजार पर इसका असर पड़ सकता है. साथ ही देश को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. यही कारण है कि बजट दस्तावेजों को लीक करना आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत दंडनीय है.   क्या कभी बजट लीक हुआ है?इस सवाल का जवाब हां में है. भारत के इतिहास में बजट दो बार लीक हो चुका है. आजाद भारत का पहला बजट 1947 में पेश किया गया. ये वित्त वर्ष 1947-1948 के लिए था और इसकी घोषणा तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री सर आरके शनमुखम चेट्टी ने की थी.वह ब्रिटिश समर्थक जस्टिस पार्टी के नेता थे. बजट से कुछ पहले ब्रिटेन के राजकोष के चांसलर ह्यूग डाल्टन ने एक पत्रकार को कुछ जानकारी दे दी. ये भारत के प्रस्तावित टैक्स में किए गए चेंजेज को लेकर थी. यह बात संसद में बजट भाषण से पहले ही पब्लिश हो गई.इस पूरे मामले ने इतना तूल पकड़ा कि डाल्टन को बाद में अपना पद छोड़ना पड़ा था. मगर मामला फिर शांत पड़ गया. साल 1950 में एक बार केंद्रीय बजट का एक हिस्सा लीक हो गया. पता चला कि ये राष्ट्रपति भवन में छपाई होते समय लीक हुआ. उस वक्त जॉन मथाई वित्त मंत्री थे. लीक के बाद बजट की छपाई राष्ट्रपति भवन की बजाय नई दिल्ली के मिंटो रोड में ट्रांसफर कर दी गई. 1951 से 1980 तक बजट मिंटो रोड स्थित एक प्रेस में ही छपता रहा. फिर 1980 से नॉर्थ ब्लॉक का बेसमेंट बजट छपाई का स्थान बन गया.1950 के बाद कैसे सुरक्षित रहाPhoto Credit: PTIबजट की तैयारी से जुड़े काम शुरू होने से पहले ही पारंपरिक हलवा समारोह हो जाता है. इसके बाद लॉक-इन पीरियड शुरू होता है. वित्त मंत्रालय के इस खास दफ्तर में बजट बनाने के काम में लगे 100 से अधिकारी कम से कम 10 दिनों तक लॉक-इन पीरियड में रहते हैं. इस दौरान उनका बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं होता. यहां तक ​​कि वो अपने परिवार से भी नहीं मिल सकते. किसी इमरजेंसी में, इन अधिकारियों के परिवार उन्हें एक खास नंबर पर मैसेज भेज सकते हैं, लेकिन बातचीत नहीं कर सकते. सिर्फ वित्त मंत्री ही अधिकारियों से मुलाकात कर सकते हैं. वित्त मंत्रालय के कर्मचारियों के अलावा, कानून मंत्रालय के कानूनी विशेषज्ञ, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अधिकारी और केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के अधिकारी भी लॉक-इन पीरियड में रहते हैं. दरअसल, ये सभी लोग बजट बनाने वाले अधिकारियों को परामर्श देते हैं. वहीं बजट से जुड़े सभी डिटेल्स ब्लू शीट के नाम से जानी जाने वाली एक गुप्त शीट पर ही लिखे जाते हैं. केवल संयुक्त सचिव (बजट) को ही ब्लू शीट की कस्टडी दी जाती है और वित्त मंत्री को भी इसे मंत्रालय परिसर से बाहर ले जाने की अनुमति नहीं है.आईबी की रहती है खास नजरबजट बनने के बाद इसकी सुरक्षा के और भी कड़े इंतजाम किए जाते हैं. इस दो सप्ताह की अवधि के दौरान, छपाई की देखरेख करने वालों को घर जाने की भी अनुमति नहीं होती है. उन्हें नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट क्षेत्र में ही अलग रखा जाता है. किसी भी साइबर चोरी को रोकने के लिए, प्रेस क्षेत्र के अंदर के कंप्यूटरों को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के सर्वर से अलग कर दिया जाता है. इंटेलिजेंस ब्यूरो दिल्ली पुलिस की सहायता से बजट बनाने की प्रक्रिया में शामिल लोगों पर नजर रखता है. संयुक्त सचिव के नेतृत्व में एक खुफिया इकाई भी इस प्रक्रिया में भाग लेने वाले अधिकारियों की गतिविधियों पर नजर रखती है. 

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.