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ओलंपिक्स की तुलना में पैरालिंपिक्स में भारत के बेहतर प्रदर्शन के कारण और राजनीति की भूमिका

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1. सपोर्ट और मोटिवेशन:

  • पैरालिंपियन की दृढ़ता और संकल्प: भारतीय पैरालिंपियन्स अक्सर कठिन परिस्थितियों और शारीरिक चुनौतियों का सामना करते हैं, जो उन्हें खास दृढ़ता, संकल्प और मोटिवेशन प्रदान करता है। ये संघर्ष उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करते हैं।
  • टारगेटेड सपोर्ट प्रोग्राम्स: जबकि ओलंपिक खिलाड़ियों को पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पाता, पैरालिंपियन को गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन जैसी संस्थाओं से विशेष सहयोग मिलता है जो वित्तीय समर्थन, प्रशिक्षण और अंतरराष्ट्रीय कोचिंग प्रदान करती हैं।

2. प्रशिक्षण सुविधाएं और कोचिंग:

  • विशिष्ट प्रशिक्षण तक पहुंच: पैरालिंपिक एथलीट्स को उनके विशेष जरूरतों के हिसाब से प्रशिक्षण दिया जाता है, जो उन्हें अपनी क्षमताओं को बेहतर ढंग से निखारने में मदद करता है। इसके विपरीत, ओलंपिक एथलीट्स को अपर्याप्त प्रशिक्षण सुविधाओं और असंगत कोचिंग का सामना करना पड़ता है।
  • एनजीओ और निजी संगठनों की भूमिका: पैरालिंपियन के लिए, गैर सरकारी संगठन और निजी संस्थाएं सरकार द्वारा छोड़ी गई कमी को पूरा करती हैं और बेहतर प्रशिक्षण सुविधाएं, अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोच और सहयोग प्रदान करती हैं।

3. मान्यता और फंडिंग में असमानता:

  • सरकारी मान्यता और प्रोत्साहन: भारतीय पैरालिंपियन को सरकार द्वारा सम्मान, इनाम और नौकरी के अवसर मिलते हैं, जो उन्हें उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रेरित करते हैं। हाल के वर्षों में, सरकार ने पैरालिंपिक खेलों के लिए फंडिंग भी बढ़ाई है।
  • ओलंपिक खिलाड़ियों के लिए फंडिंग की चुनौतियाँ: दूसरी ओर, ओलंपिक खिलाड़ियों के सामने फंडिंग की समस्याएं, असंगत नीतियाँ और नौकरशाही की बाधाएं होती हैं, जो उनकी तैयारी और प्रदर्शन को प्रभावित करती हैं।

4. चयन प्रक्रिया और नौकरशाही बाधाएं:

  • पैरालिंपियन के लिए कुशल चयन प्रक्रिया: पैरालिंपिक खिलाड़ियों के लिए चयन प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और योग्यता-आधारित होती है, जिससे राजनीति और पक्षपात का प्रभाव कम होता है।
  • ओलंपिक चयन में राजनीति: ओलंपिक के लिए चयन प्रक्रिया में अक्सर राजनीति, पक्षपात और नौकरशाही बाधाएं शामिल होती हैं, जो योग्य खिलाड़ियों को हतोत्साहित करती हैं।

5. जनता और मीडिया का समर्थन:

  • बढ़ती मीडिया कवरेज और समर्थन: हाल के वर्षों में पैरालिंपिक प्रदर्शन को मीडिया ने अच्छा कवरेज दिया है, जिससे सार्वजनिक समर्थन और प्रायोजन में वृद्धि हुई है।
  • ओलंपिक्स में क्रिकेट का दबदबा: इसके विपरीत, भारत में मीडिया और जनता का ध्यान अधिकतर क्रिकेट पर केंद्रित रहता है, जिससे अन्य ओलंपिक खेल और खिलाड़ी आवश्यक समर्थन से वंचित रह जाते हैं।

6. राजनीति की भूमिका:

  • राजनीतिक हस्तक्षेप: खेल संघों में हस्तक्षेप, भ्रष्टाचार, पारदर्शिता की कमी और पक्षपात जैसी समस्याएं ओलंपिक खेलों में बाधा डालती हैं।
  • पैरालिंपिक खेलों में कम राजनीतिक दखल: पैरालिंपिक खेलों में राजनीतिक हस्तक्षेप कम होता है, जिससे खिलाड़ी बिना राजनीति के दबाव के अपनी तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

7. मानसिक मजबूती और मनोवैज्ञानिक समर्थन:

  • मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण पर अधिक जोर: पैरालिंपियन को मानसिक प्रशिक्षण और समर्थन प्राप्त होता है, जिससे वे दबाव को अच्छे से संभाल पाते हैं और बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
  • ओलंपिक एथलीट्स के लिए मानसिक समर्थन की कमी: ओलंपिक खिलाड़ियों को सही मानसिक समर्थन की कमी होती है, जो प्रतियोगिता के महत्वपूर्ण क्षणों में उनकी प्रदर्शन क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष:

हालांकि भारत का ओलंपिक प्रदर्शन लगातार बेहतर हो रहा है, पैरालिंपियन की सफलता प्रेरणा का एक बेहतरीन उदाहरण है जिसमें दृढ़ता, समर्पण और प्रभावी सपोर्ट सिस्टम का महत्वपूर्ण योगदान है। ओलंपिक खिलाड़ियों के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप, फंडिंग की चुनौतियां और असंगत समर्थन बड़ी बाधाएं बनी हुई हैं, जिन्हें दूर करना आवश्यक है। पैरालिंपिक खेलों की सफलता से सीख लेकर, भारत अपने ओलंपिक प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए बेहतर प्रबंधन, राजनीतिक हस्तक्षेप में कमी और एथलीट्स के विकास में अधिक निवेश कर सकता है।

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