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एसकेएम विरोध-प्रदर्शन : पंजाब पुलिस ने चंडीगढ़ जाने के किसानों के प्रयास को विफल किया

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पंजाब पुलिस ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर बुधवार को सप्ताह भर के धरने के लिए किसानों के चंडीगढ़ कूच करने के प्रयास को विफल कर दिया. पुलिस ने राज्यभर में कई जांच चौकियां स्थापित की थीं और चंडीगढ़ के सभी प्रवेश बिंदुओं पर सुरक्षा बढ़ा दी थी.इस बीच एक किसान नेता ने कहा कि एसकेएम ने अपना प्रस्तावित चंडीगढ़ मार्च वापस ले लिया है और वह सात मार्च को लुधियाना में अपने भावी कदम पर निर्णय लेगा.तीस से अधिक किसान संगठनों के समूह एसकेएम ने अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में पांच मार्च से चंडीगढ़ में एक सप्ताह तक धरना देने का आह्वान किया था. किसानों की इन मांगों में राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर छह फसलों की खरीद की मांग भी शामिल है.बुधवार सुबह ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और अन्य वाहनों से चंडीगढ़ के लिए रवाना हुए किसानों को पंजाब पुलिस ने राजमार्गों और अन्य सड़कों पर कई जगहों पर रोक दिया.एसकेएम ने अपनी मांगों के समर्थन में आवाज उठाने के लिए चंडीगढ़ जा रहे किसानों को रोकने को लेकर राज्य की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की कड़ी निंदा की.एसकेएम नेताओं ने दावा किया कि चंडीगढ़ जा रहे कई किसानों को पुलिस ने हिरासत में लिया, जबकि कई अन्य ने वहीं विरोध-प्रदर्शन करना शुरू कर दिया, जहां उन्हें रोका गया था.पंजाब पुलिस के उप महानिरीक्षक (रोपड़ रेंज) एचएस भुल्लर ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को किसी भी कीमत पर चंडीगढ़ पहुंचने की इजाजत नहीं दी जाएगी.भुल्लर ने कहा, ‘‘जहां भी किसान (सड़कों पर) निकले, उस क्षेत्र की पुलिस ने उन्हें वहीं रोक दिया. वे वहां शांतिपूर्वक बैठे हैं.”उन्होंने कहा कि पंजाब में स्थिति पूरी तरह से शांतिपूर्ण है. डीआईजी ने बताया कि कुछ किसानों को हिरासत में लिया गया है. उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस और चंडीगढ़ पुलिस के बीच अच्छा समन्वय है. हिरासत में लिए गए एसकेएम नेता जोगिंदर सिंह उग्राहन और बलबीर सिंह राजेवाल को रिहा कर दिया गया है.भारती किसान यूनियन (एकता उग्राहन) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि किसान अब चंडीगढ़ नहीं जाएंगे. कोकरीकलां ने कहा, ‘‘अगले कदम के बारे में निर्णय लेने के लिए सात मार्च को लुधियाना में एसकेएम की बैठक बुलाई गई है.”किसान नेता बुर्ज सिंह बुर्जगिल ने दावा किया कि किसानों ने करीब ऐसी 18 जगहों पर ‘धरना’ दिया, जहां उन्हें पुलिस ने रोका. एसकेएम ने एक बयान में कहा कि करीब 15,000 किसानों ने पंजाब की सड़कों पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू किया.एसकेएम ने यह भी कहा कि किसानों ने किसी सड़क या रेलमार्ग को बाधित नहीं किया जैसा कि मुख्यंमत्री (भगवंत) मान ने मंगलवार को दावा किया था. संगरूर के घराचोन इलाके में किसानों को चंडीगढ़ जाने से रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया, बैरिकेड लगाए गए और रेत से लदे ट्रक भी खड़े किए गए.मोगा में क्रांतिकारी किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष जतिंदर सिंह ने कहा कि चंडीगढ़ जाते समय मोगा जिले के अजीतवाल में पुलिस ने उन्हें और अन्य किसानों को रोक दिया. सिंह ने दावा किया कि उनमें से कुछ को पुलिस ने हिरासत में भी लिया.चंडीगढ़ जाने की अनुमति नहीं दिए जाने पर प्रदर्शनकारियों ने पंजाब की भगवंत मान सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की.किसानों ने कहा कि समराला में भी पुलिस ने उन्हें चंडीगढ़ जाने से रोक दिया. पटियाला में पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि प्रदर्शनकारी किसान चंडीगढ़ की ओर न बढ़ें और आम नागरिकों को किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े.किसानों को चंडीगढ़ की ओर जाने से रोकने के लिए मोगा के चुहार चक इलाके में पुलिस ने बैरिकेड लगाए.पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि चौकी पर 100 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है और किसानों को चंडीगढ़ जाने से रोकने के लिए हर वाहन की जांच की जा रही है.संगरूर में पुलिस ने घराचोन और भवानीगढ़ सहित कई स्थानों पर नाके लगाए. खरड़ में भागो माजरा टोल प्लाजा पर पुलिसकर्मी तैनात किए गए.इस बीच, एसकेएम नेता रमिंदर सिंह पटियाला ने किसानों के खिलाफ पंजाब सरकार की कार्रवाई को “अघोषित आपातकाल” करार दिया और कहा कि कई जगहों पर किसानों के जत्थों को पुलिस ने रोका और उन्हें हिरासत में लिया.पटियाला ने कहा, ‘‘भगवंत मान सरकार ने दिखा दिया है कि वह घबरा गई है और उसने किसानों के आंदोलन को दबाने की कोशिश की है. चंडीगढ़ में अपनी आवाज उठाना हमारा संवैधानिक अधिकार है.”किसान नेता उग्राहन ने एक वीडियो संदेश में किसानों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा की. उन्होंने कहा कि उनकी मांगें पंजाब से जुड़ी हैं.उग्राहन ने मंगलवार को किसान नेताओं से चंडीगढ़ की ओर बढ़ने का आह्वान किया था. उन्होंने किसानों से कहा था कि अगर चंडीगढ़ जाते समय पुलिस उन्हें रोकती है, तो वे खाली जगह पर बैठ जाएं और किसी भी सड़क को अवरुद्ध न करें.पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ में प्रवेश करने से रोकने के लिए चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर अवरोधक लगाए.मोहाली से चंडीगढ़ में प्रवेश वाले बिंदुओं पर सुरक्षा बढ़ा दी गई. पुलिसकर्मियों ने पंजाब से आने वाले वाहनों, खासकर बसों की जांच की. उन्होंने चंडीगढ़ जाने वाले लोगों की तलाशी भी ली.पुलिस ने कई स्थानों पर दंगा-रोधी वाहन, एंबुलेंस और दमकल गाड़ियां भी तैनात की हैं.सीमा चौकियों पर गहन जांच के कारण मोहाली से चंडीगढ़ तक यातायात बाधित हो गया, जिससे वाहनों की लंबी कतार लग गई और यात्रियों को असुविधा हुई.चंडीगढ़-जीरकपुर रोड और कुछ अन्य सड़कों पर यात्रियों ने यातायात जाम को लेकर निराशा व्यक्त की. अंबाला से चंडीगढ़ आ रहे एक यात्री ने बताया कि वह एक घंटे से अधिक समय तक यातायात जाम में फंसा रहा.चंडीगढ़ पुलिस अधीक्षक गीतांजलि खंडेलवाल ने कहा कि सभी सीमा चौकियों पर पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है.उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बैरिकेड लगा दिए गए हैं और कड़ी जांच की जा रही है. हम चाहते हैं कि लोगों को कम से कम असुविधा हो. जहां भी हमें यातायात जाम की आशंका है, हमने यातायात के मार्ग बदल दिए हैं.”चंडीगढ़ प्रशासन ने किसानों को सेक्टर-34 में धरना देने की अनुमति नहीं दी है.इस बीच, किसान मजदूर मोर्चा ने एसकेएम नेताओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई और किसानों को चंडीगढ़ नहीं जाने देने को लेकर अमृतसर में मुख्यमंत्री भगवंत मान का पुतला फूंका.मान ने मंगलवार को कई किसान संगठनों पर हर दूसरे दिन विरोध-प्रदर्शन करने के लिए निशाना साधा और उन पर पंजाब को “धरनों का राज्य” बनाने तथा इसे भारी नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया.मान ने सोमवार को किसानों की मांगों पर चर्चा के लिए पंजाब सरकार और एसकेएम नेताओं के बीच बातचीत के विफल रहने के बाद किसान संगठनों की निंदा की.एसकेएम ने अब निरस्त किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 के आंदोलन का नेतृत्व किया था. वह कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा (एनपीएफएएम) के केंद्र के मसौदे को वापस लेने, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने, राज्य की कृषि नीति को लागू करने और राज्य सरकार द्वारा एमएसपी पर छह फसलों की खरीद की मांग कर रहा है.किसान संगठन कर्ज समाधान के लिए एक कानून, गन्ने का बकाया भुगतान, भारतमाला परियोजनाओं के लिए भूमि का “जबरन” अधिग्रहण रोकने और 2020-21 में किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को नौकरी एवं मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं.

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